दिल से निकले वो हैं कविता !
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Wednesday, January 6, 2016
ये जिन्दगी.....
ये जिन्दगी ...
...
बेखबर ,बेसबर, बेबाक ये जिन्दगी
हंसती ना हंसाती ये जिन्दगी
।
चिराग नही जिसे जला दूं,
दुबारा हाथो से फिसल जाती ये जिन्दगी
।
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