दिल से निकले वो हैं कविता !
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Thursday, November 22, 2012
अभी तो बाकी हैं
अभी तो बाकी हैं
एक रात और जाने को हैं,
अभी तो एक नई सुबह का इंतजार बाकी हैं ।
चांदनी धरती पर पड़ चुकी,
अभी तो सूरज की किरण का स्पर्श बाकी हैं ।
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